यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता…
जहाँ नारियों का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं!
देश आज कल नवरात्रि के उत्सव में मगन है, जगह जगह पर माँ दुर्गा की प्रतिमाओ की पूजा अर्चना की जा रही है! लेकिन हमे ये सोचना चाहिए कि रामायण काल मे जिस एक स्त्री के कारण एक राजा ने अपने प्राण और प्राण से प्रिय पुत्र को त्याग दिया अर्थात व्यक्ति को सबसे प्रिय क्या है "प्राण" और "प्राण से प्रिय पुत्र " राजा दशरथ ने दोनों ही त्याग दिये! जिस एक स्त्री के सतीत्व की रक्षा के लिए पूरा महाभारत हुआ, उस स्त्री , उस बेटी, उस बहन, उस पत्नी की आज 2019 मे क्या दशा है…
विचार कीजिए!
पैदा हुई बेटियाँ तक महफूज नहीं है!
ऐसा क्या हुआ क्या हमारे संविधान मे अधिकार नहीं है महिलाओ को? क्या उनके पास आत्म विश्वास की कमी है ?नहीं!
ऐसा इसलिए क्यों कि एक स्त्री को हमने इतने प्रश्नों में घेर लिया है कि वह खुद मे एक प्रश्न चिन्ह बन कर रह गयी है! आप कल्पना कीजिए जब किसी युवती के साथ अत्याचार होता है तो बह अपने परिवार की बदनामी के डर से अत्याचार सहन करती है और यही सहनशीलता एक दिन उसके जीवन के लिए श्राप बन जाती है!
क्यो ये डर उन लोगों मे नहीं होता जो महिला को सिर्फ एक वस्तु समझते है !
क्यो इस देश के राजनीतिक चेहरे, इस देश के पुलिस थाने उन दरिंदो के अभिभावक बने खड़े होते है!
सवाल बहुत है पर जबाब एक, क्यों कि हम खामोश है!
जब कोई घटना होती है पूरा देश सड़को पर मोमबत्तियां जलाता है फिर दो दिन मे सब ठंडा पड़ जाता है फिर न तो उस लड़की का पता चलता है क्या हुआ न उस आरोपी का!
किसी शायर का एक शेर था,
“ये तेरे भाल का आँचल बड़ा ही खूब है लेकिन,
तू इस आँचल का जो परचम बना लेती तो अच्छा था”
अर्थात हमने मोमबत्तियों की जगह ऐसे लोगो के दीमक लगे दिमाग जलाये होते तो स्थिति कुछ और होती! हमने ऐसे लोगो की मानसिकता में दीपक जलाये होते तो शायद स्थिति कुछ और होती! देखते है क्या अब इस नवरात्रि के बाद इस देश में नारियों के होने वाली घटनाये कम होगी या सब वैसा ही रहेगा…..
जय हिंद…. जय भारत….