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समाज में बदलाव के लिए नए साल पर ले संकल्प, इन दो समान वेशभूषा वाली महिलाओं को देंगे एक जैसा सम्मान

एक दशक का अंत कर हम नए दशक में प्रवेश कर रहे है। हर नए साल पर हम कोई ना कोई संकल्प अवश्य लेते है और ठान लेते है कि पूरे साल अपने संकल्प का दृढ़ निश्चय के साथ पालन करेंगे। अक्सर लोग जिम जाने, कसरत करने, पसंदीदा चीज ना खाने, मोटापा घटाने और पैसा बचाने जैसे संकल्प लेते है और इस तरह के संकल्प लेकर मन ही मन वे खुश भी बहुत होते है। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे इन संकल्पों से समाज का क्या फायदा होगा। क्या हमें इस देश के लिए और अपनी बहनों की रक्षा के लिए कुछ संकल्प नहीं लेने चाहिए? अगर आप वाकई में नए साल पर कोई संकल्प लेना चाहते है तो ये पोस्ट अंत तक अवश्य पढ़े।
आज मैं कुछ ऐसी बात करने जा रहा हूँ जो शायद कुछ लोगों को बुरी लग सकती है। देखने में उपर दी गई दो तस्वीरों में कुछ खास अंतर नज़र नहीं आता। लेकिन समाज के कुछ लोगों ने इन दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर पैदा कर दिया है। पहली तस्वीर एक लड़की की है जो शायद आपके घर की बेटी भी हो सकती है, जिसने एक क्रॉप टॉप पहना हुआ है। वहीं दूसरी तस्वीर एक देवी की है। पहली तस्वीर वाली लड़की को लोग मॉडर्न होने के नाम पर वेश्य, चरित्रहीन और भी ना जाने क्या-क्या कहते है। लेकिन दूसरी तस्वीर में मौजूद स्त्री की वही लोग बड़े चाव और भक्ति के साथ पूजा करते है।

पहली तस्वीर वाली लड़की की लोग पब्लिक प्लेस पर बेइज़्जती करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उसे सही कपड़े पहनने और अपने दायरे में रहने की सलाह देते है। लेकिन दूसरी तस्वीर वाली कथित देवी को मंदिर में स्थान मिला हुआ है। उनके लिए इसी तरह की पौशाक लोग लोग बेहद खुश होकर चढ़ाते है। पहली महिला को बेशर्म समझा जाता है तो दूसरी महिला को शक्ति की देवी कह दिया जाता है।

अगर आज की लड़की इस तरह के कपड़े पहने तो कहा जाता है लड़कों को आकर्षित करने के लिए या फिर अपना स्टाईल दिखाने के लिए उसने ऐसे कपड़े पहने है। वहीं मंदिर में मौजूद देवी के इन्हीं कपड़ो को परंपरा और संस्कृति का नाम दे दिया जाता है। यही देवी सदियों से मंदिर में रह रही है तो कोई कुछ नहीं कहता। लेकिन पहली तस्वीर वाली महिला को मंदिर में प्रेवश तक नहीं करने दिया जाता। ऐसे मुद्दों को कोर्ट और टीवी डिबेट्स में भी अच्छा स्थान मिल जाता है।

इस तरह की मानसिकता रखने वाले समाज के ये वही लोग होते है जिनकी आँखों में क्रॉप टॉप में दिखने वाला एक इंच का पेट खटकता है लेकिन साड़ी में दिखने वाला चार इंच का पेट इन्हें संस्कारी नज़र आता है। इन सब विचारों के साथ अगर हम नए साल में प्रवेश कर रहे है तो उसे नए साल का नाम देना बहुत बड़ी बेइमानी होगा। नए साल का मतलब केवल कैलेंडर की तारीख बदलने तक ही सीमित नहीं होता। नए साल पर हमें अपने विचारों में भी नयापन लाना चाहिए।

अगर आपको लगता है कि महिलाओं के छोटे कपड़ो के कारण या रात में उनके बाहर निकलने के कारण बलात्कार जैसी घटनाएं होती है तो आपको एक बहुत बड़े बदलाव की जरूरत है। ऐसी सोच रखने वाले लोगों को धिक्कार है। इस नए साल आप भी संकल्प लीजिए कि महिलाओं के कपड़ो या उनके लड़को के साथ बात करने पर कभी उनके चरित्र पर शक नहीं करेंगे। उनका भी उसी तरह से आदर सत्कार करेंगे जैसा मंदिर में मौजूद देवी का किया जाता है। आपका एक छोटा सा संकप्ल समाज में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।

Disclaimer: The thoughts and opinions expressed in this post are the personal views of the author. And they do not reflect the views of Prakhar Bharat group or prabha.blog. Any omissions or errors are the author’s and prabha.blog does not assume any liability or responsibility for them.

Mohit Jain
I am an extrovert and an adventurous person who love to interact with public. Possessed by a wander soul, I like to explore new places and historical monuments. I dream for the future full of work, happiness, health and family. My pen is my strength and love to write on various topics. I believe in humanity.

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