कॉंग्रेस से बागी हुये 19 विधायको मै कई अपने-अपने क्षेत्र मै बेहद सक्रिय है ,कुछ ऐसे भी है जिनके लिये कोई पार्टी माईने नहीं रखती अपने विधानसभा क्षेत्र मै जीत का दमखम रखते है , जीत के समीकरण इस तरह बेठा रखे है कि हारना बहुत मुसकील है,जो विधायक बागी हुये है ,इनमे से अधिकतर गुर्जर, जाट,और मीणा समाज से आते है,इन तीनों ही जातीयों का पूर्वी ओर मध्य राजस्थान कि राजनीति मै अच्छा खासा दखल है, पूर्वी राजस्थान मै गुर्जर-मीणा कि बड़ी आबादी है पायलट खेमे मै आठ विधायक इन ही समुदायों के है सत्र 2018 के विधानसभा चुनाव मै सर्वाधिक वोटो से जीतने वाले भी पायलट के साथ कंधे से कन्धा मिला के साथ खड़े है पायलेट समेत चार विधायक ऐसे है जो 40 हजार से अधिक वोटो से अपने विधान सभा क्षेत्र से जीते है 9 विधायको ने दस हजार से अधिक मतो से जीत हासिल की वही 6 विधायक जिनहोने दस हजार से कम मतो से जीत हासिल की थी
मध्य-पूर्वी राजस्थान मै मजबूत होने का कारण-
सचिन पायलट से पहले उनके पिता राजेश पाइलट दौसा जिले से सांसद रहे उनकी सक्रियता आस-पास के जिलो मै भी खूब रहती थी
सचिन अजमेर से भी सांसद रहे अभी टोंक जिले से विधायक है-राज्य के झुंझुनू नागोर और बाड़मेर जाट बाहुल्य जिले है यहा से भी पाइलट के साथ चार विधायक खड़े है बाड़मेर जिले की गुड़ामलानी सीट से पाचवी बार विधायक बने हेमाराम चोधरी के अलावा नागोर जिले से मुकेश भाकर ,रामनिवाश गावडीया है
झुंझुनू से ब्रजेन्द्र ओला पाइलट खेमे से है ओला के परिवार का और आस-पास के जिलो मै अच्छा खासा प्रभाव है भरतपुर से विश्वेन्द्र सिंह पाइलट खेमे मै सामील है,