शायद मैं अपनी हमउम्र के लोगों से छोटा दिखता हूँ या फिर शायद सबके साथ आसानी से घुल मिल जाता हूँ, इसलिए मुझसे छोटी उम्र के अधिकतर बच्चे मुझे भईया कहने की बजाय मेरे नाम से पुकारना ही ज्यादा पसंद करते है। उन्होंने मुझे कभी आप कहकर संबोधित नहीं किया। अक्सर वे मेरे साथ अपने साथ के बच्चों जैसा ही बर्ताव करते है और सभी तरह की बातें भी शेयर कर लेते है। ऐसा केवल एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। मैं, मेरा भाई और मेरे दोस्त अक्सर जब भी किसी 5-6 साल छोटे लड़के या लड़की से मिलते है, तो वह बच्चा मेरे अलावा सभी को को भईया कहकर बुलाता है। लेकिन उसी समय वही बच्चा मुझे हमेशा मेरे नाम से ही बुलाता है। कई बार लगता था कि बच्चे शायद मेरी इज्जत नहीं करते इसलिए वे ऐसा बोलते होंगे क्योंकि उनकी उम्र मुझसे 4-5 साल छोटी हुआ करती थी और कुछ की तो 7-8 साल भी।
लेकिन अब बात सारी बात समझ आती है। हम जिस व्यक्ति से जितना ज्यादा करीब होते है, वे उतना ही ज्यादा खुलकर आपके साथ बात करने की कोशिश करता है। मेरे साथ भी ऐसा ही होता है। एक बार मित्रता हो जाने के बाद आप बोलते समय ये नहीं सोचते की सामने वाले बंदे को आप कहकर संबोधित करे या फिर तू अथवा तूम कहकर। अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग अपनी माँ से भी तू या तूम कहकर बात करते है। इसका मतलब ये नहीं निकाला जा सकता कि वे लोग अपनी माँ की इज्जत नहीं करते या फिर उनसे बदतमीज से बात करते है। हो सकता है वे अपनी माँ को अपने दोस्त की तरह मानते हो।
यदि तू या तूम कहकर बात करने को बदतमीजी की श्रेणी में रखा जाए तो शायद इस दुनिया में हर कोई बदतमीज है। क्योंकि अधिकतर धार्मिक गीतों और भजनों में हम भगवान को आप नहीं बल्कि तू या तूम कहकर ही संबोधित करते है। उदाहरण के लिए आप “ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे, तुमरे बिन हमरा कौनों नहीं” या फिर “तेरे दर पर प्रभु जी हम आन खड़े तेरे दर पे, तुम्हीं रक्षक हो दुनिया में सबसे बड़े” को देख सकते है। इस तरह के हज़ारों भजन आपको मिल जाएंगे। इन गीतो में हम भगवान से बदतमीजी से बात नहीं कर रहे, बल्कि उन्हें अपने करीब मानकर अपने दिल की बात कह रहे है।
इस मामले में मुझे अंग्रेजी भाषा बेहद अच्छी लगती है। उसमें किसी व्यक्ति के साथ बात करने से पहले सोचना नहीं पड़ता कि इसे तू, तूम या आप क्या कहकर संबोधित किया जाए। अंग्रेजी भाषा में इन तीनों शब्दों के लिए केवल एक ही शब्द इस्तेमाल होता है यू (You). आप तुरंत पैदा हुए बच्चे से लेकर 100 साल के वृद्ध सदस्य तक चाहे किसी से भी बात करें, अंग्रेजी में बातचीत के दौरान आप यू शब्द का ही इस्तेमाल करेंगे।
आज भी मैं जब नए लोगों से मिलता हूँ तो वे शुरूआत मे तो भले ही तूम या भाई कहकर मुझसे बात करते हो, लेकिन कुछ समय में ही वे मुझसे तू कहकर बात करना ही पसंद करते है। सामने वाला व्यक्ति भी मेरे साथ बहुत जल्द ही सहज होकर बाते करने लगता है। शायद मेरा स्वभाव ही कुछ ऐसा है। मैं एक 4-5 साल के बच्चे से लेकर 75-80 साल तक हर उम्र के लोगों के साथ बेहद आसानी से घुलमिल जाता हूँ। और हर उम्र के लोगों के साथ मैं वे सब बाते कर लेता हूँ, जो आमतौर पर लोग केवल अपनी हम उम्र के लोगों के साथ ही करना पसंद करते है। कुछ लोग इस बात को लेकर मेरे ऊपर तंज भी कसते है, लेकिन यदि आप दुनिया की बातों पर ध्यान देने लगेंगे तो शायद अपने असली रूप को कहीं खो देंगे।
Nice Post
thank you
There are reasons you might be right, it also depends on the nature of the person. comfort level pe depend karta hai most of the time.
you’re right bro. but in this article i write about my personal experience
Your thought/observation about Tum vs Aap differs from person to person, but Haan ek tarah se dekha jaye to tumhara kehna bhi galat nahi hai……
Bitter to accept the truth but truly expressed your feelings in most effortless and simple manner.
At last……. Heart touching
thank you so much brother. your comment means a lot to me.
Very nice♥️
thank you my little sister…