जिस तरह दुनिया में कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रही है, इसी के चलते भारत में भी 22 मार्च से लाकडाउन कर दिया गया था। जिसके चलते सभी स्कूल भी बंद हो गए थे। प्राइवेट स्कूलों में मार्च में परीक्षाएं हो जाती है और अप्रैल में फिर ने नयी कक्षाएं शुरू हो जाती है लेकिन स्कूल बंद होने के कारण इस माह बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाई है। इस समस्या को प्राइवेट स्कूलों ने डिजिटल माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने का उपाय निकाला। जिसमें ऑनलाइन क्लासेस/वाट्सएप ग्रुप बना कर बच्चों को पढ़ना है। यही से बच्चों में खाई बढ़ने की शुरुवात होती है। शिक्षा के अधिकार कानून के अनुच्छेद 12 (10)(सी) निजी स्कूलों पर 25 प्रतिशत सीटें (EWS कोटा) पिछड़े और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखे गए हैं। वर्ष 19-20 में 1,77,000 बच्चों का इसके तहत एडमिशन हुआ है। यानी ये बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं।इस वर्ग के लिए ऑनलाइन पढ़ाई एक बड़ी चुनौती है।
डिजिटल शिक्षा ने और बढ़ाई गरीब और संपन्न परिवार के छात्रों के बीच की खाई स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लासेस के लिए जो पठन सामाग्री बनाई गयी है जो उच्च और मध्यम वर्ग के अनुरूप बनायी है क्योंकि इन स्कूलों में इसी वर्ग के विद्यार्थी पढ़ने आते हैं। गरीब विद्यार्थियों की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पाठ्य सामग्री को तैयार नहीं किया गया जिससे छोटे और गरीब तबके से आने वाले विद्यार्थियों के लिए शिक्षा ग्रहण करने में काफी समस्याएं उत्पन्न हुई।
दूसरी बड़ी चुनौती बच्चों के ऑनलाइन क्लासेस के लिए आवश्यक संशाधनों का न होना है। ऑनलाइन क्लासेस के लिए एंड्रयाईड फोन/कम्प्यूटर/ टेबलेट, ब्राडबैंड कनेक्शन,प्रिंटर आदि की जरुरत होती है। EWS वर्ग के ज्यादातर बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होती उसके चलते उनके पास डिजिटल क्लासेस के लिए आवश्यक उपकरण नहीं होते हैं। जिसके कारण ये क्लास नहीं कर पा रहे है जबकि इस समय इन बच्चों के क्लास के अन्य साथी ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से पढाई कर रहे हैं। गिनने लायक परिवार ही ऐसे होगें जिनके पास ये उपकरण उपलब्ध होगा। लोकल सर्कल नाम की एक गैर सरकारी संस्था ने एक सर्वे किया है जिसमें 203 ज़िलों के 23 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया। जिनमें से 43% लोगों ने कहा कि बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस के लिए उनके पास कम्प्यूटर, टेबलेट, प्रिंटर, राउटर जैसी चीज़े नहीं है। ऐसे कठिन समय में जब लोगों के पास संसाधन उपलब्ध नहीं है तब ऑनलाइन शिक्षा को ज्यादा बढ़ावा देना ठीक नहीं होगा। ऑनलाइन शिक्षा ऑफलाइन शिक्षा के साथ-साथ तो चल सकती है लेकिन केवल ऑनलाइन शिक्षा को ज्यादा महत्व देना देश की शिक्षा व्यवस्था को ग्रहण लगाने जाता है।
संक्रमण काल के दौरान विद्यार्थियों की शिक्षा पर जो प्रभाव पड़ा है वह सभी जानते हैं। परंतु इन विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराना भी देश की सरकार का काम है। हम जल्द ही इस संक्रमण पर विजय प्राप्त करेंगे, और सरकार ने यदि विद्यार्थियों की अच्छी शिक्षा पर ध्यान देती रही तो इस समय की भरपाई भी जल्द ही की जा सकेगी।