लॉकडाउन एक ऐसी एलओसी आपातकालीन स्थिति को कहते हैं जब आप घर से बाहर नहीं जा सकते। यह भी जरुरी नहीं की आप घर पर ही हों अर्थात जहाँ भी हों, इसके लागू होने के बाद आप कहीं बहार नहीं जा सकते। और यही लॉकडाउन जब वृहद स्तर पर होता है तो यह कर्फ्यू का रूप ले लेता है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मार्च के महीने में 24 तारीख को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की। मोदी जी द्वारा उठाया गया यह एक ऐतिहासिक कदम था और उन्होंने ऐसा कोरोना नामक महामारी से देश को बचाने के लिये किया। यह लॉकडाउन आगे चल कर कई चरणों में लागू किया गय।
लॉकडाउन के प्रभाव बहुत गहरे हुए, क्यों की इससे पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था डगमगा गयी। जब हम काम पर जाते हैं, तभी देश आगे बढ़ता है और जब देश के सारे फैक्ट्री बंद हो जायेंगे, सब घर पर बैठ जायेंगे तो देश का विकास भी रुक जाता है और इससे अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुँचती है।
लॉकडाउन से भारत के GDP, विकास दर में भारी गिरावट आई और यह किसी के लिये ठीक नहीं। हम दूसरे देशों की अपेक्षा कई गुना तेजी से नीचे गिरते जा रहे हैं। अभी भारत की मौजूदा GDP -9.6% है, जो की आने वाले समय में और भी कम हो सकती है। इसका सीधा असर हम पेट्रोल की कीमतों में आई वृद्धि से आंक सकते हैं।
छोटे मजदूर, महिलाएं, दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग, इस लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। लोगों की नौकरियां चली गयी क्यों की बंदी की वजह से बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। यह एक ऐसा समय है जब सरकारों के निर्देशों पर जनता पूरी तरह से आश्रित रही। सरकार के किसी निर्णय का विरोध मध्यमवर्गीय परिवारों ने नहीं किया। लेकिन इस पूरे समय के दौरान पुलिस के द्वारा मध्यमवर्गीय परिवारों को तथा छोटे लोगों को सताने का सिलसिला भी जारी रहा। कहीं पर अपनी वर्दी का रौब दिखाने के लिए लोगों के चालान काट दिए गए तो कहीं पर कुछ पुलिसकर्मियों ने लोगों को परेशान करने का काम किया।
सरकारों के किसी निर्णय का विरोध जनता के द्वारा नहीं किया गया। लेकिन जनप्रतिनिधियों ने संकट के समय में अपनी जनता का साथ देने की बजाय उनसे मुंह मोड़ लिया। जब लोगों को ऑक्सीजन के सिलेंडर और ऑक्सीजन का स्ट्रेटर की आवश्यकता थी तब ब्लैक मार्केटिंग के द्वारा लोगों से अवैध वसूली की जा रही थी।और अब जब ऑक्सीजन का संकट समाप्त हो चुका है तो 50-50 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पीठ के सांसद निधि से खरीद कर दे दी जा रही है।जब जनता मरने की स्थिति में थी तब जनप्रतिनिधि सामने नहीं आए और अब जब समस्या खुद समाप्त हो गई है तो वाहवाही लूटने के लिए नेता आगे आ गए हैं।