चाणक्य नीति के बारे में कौन नहीं जानता है? वर्तमान समय में हजारों लोग चाणक्य नीति के द्वारा लाइफ मैनेजमेंट की बातें सिखाते हैं। चाणक्य एक कुशल राजनीतिक आचार्य थे और चंद्रगुप्त को राजा बनाने का श्रेय चाणक्य को ही जाता है। आचार्य चाणक्य को नक्शा से लेकर अस्त्र-शस्त्र और अर्थव्यवस्था से लेकर राजव्यवस्था तक की जानकारी। अपनी पूरी जीवन की इस जानकारी को उन्होंने कई पुस्तकों में उतारने की कोशिश की। उन सभी पुस्तकों में एक प्रमुख पुस्तक है चाणक्य नीति। चाणक्य नीति में परिवार से लेकर समाज और समाज से लेकर राजा और उसकी प्रजा के बीच में किस प्रकार का व्यवहार होना चाहिए उसके बारे में पूरी तरह का वर्णन किया गया है? किस प्रकार शत्रु से शत्रुता निभानी चाहिए और मित्र से निर्मित तथा इसका भी वर्णन चाणक्य नीति में हुआ है। आइए चाणक्य नीति के कुछ अंश पढ़ते हैं जिन्हें पढ़ने के बाद आपके जीवन में बदलाव आ सकता है।
आचार्य चाणक्य अपनी पुस्तक में कहते हैं कि जिस व्यक्ति को नौकरी-व्यापार में सफलता पाना है तो उन्हें अपने काम के प्रति ईमानदार और अनुशासित होना बेहद जरूरी है। चाणक्य के अनुसार अनुशासन से ही व्यक्ति में परिश्रम की भावना का विकास होता है। बिना अनुशासन के कोई भी कार्य समय से पूरा नहीं होता है। इसलिए सफल बनने के लिए अनुशासन होना आवश्यक है।
चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यापार में सफल होने के लिए व्यक्ति में जोखिम भरे फैसले लेने की क्षमता होनी चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार, वही व्यक्ति सफल होता है जो असफलता से नहीं डरता है। व्यापार में सही समय पर किया गया निर्णय ही व्यक्ति को भविष्य में लाभ दिलवाता है।
चाणक्य कहते हैं कि हर माता-पिता को अपने बच्चे को पांच साल तक प्यार-दुला करना चाहिए। जब संतान 10 साल की हो जाए और गलत आदतों का शिकार होने लगे तो उसे दंड भी देना चाहिए। ताकि बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके। जब बच्चा 16 साल का हो जाए तो उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए।
संचित धन धन के विषय में चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी सारा धन व्यय नहीं करना चाहिए, किसी भी इंसान का बुरा वक्त आ सकता है इसलिए बुरे समय के लिए हमेशा कुछ धन हमेशा संचित करके रखना चाहिए। जिससे कि किसी से मांगना नहीं पड़े।