सेक्सुअल असॉल्ट, झूठे रेप केस या फिर दहेज के लिए प्रताड़ित करने जैसे मामलों में आमतौर पर देखा गया है कि पूरा समाज केवल पुरूष की ही गलती निकालने की कोशिश करता है। कानूनी कार्रवाई या फिर कोर्ट का फैसला आने से पहले ही पुरूष को अपराधी घोषित कर दिया जाता है। लंबी लड़ाई के बाद वह पुरूष केस तो जीत जाता है, लेकिन समाज में अपने ऊपर लगे धब्बे और कलंक को मिटाते हुए अक्सर उसकी पूरी ज़िन्दगी निकल जाती है। वहीं दूसरी ओर आरोप लगाने वाली पार्टी को दोषित होने के बावजूद समाज के लोगों से सहानुभूति मिल जाती है।
इस प्रकार के मामलो में समय पर आने पर कोई भी एनजीओ या फिर सरकारी संस्था भी पुरूष के समर्थन के लिए आगे नहीं आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरूषों के लिए इस प्रकार की किसी संस्था का कभी गठन ही नहीं किया गया है। दिल्ली की तरह देश के कई राज्यों में जिस प्रकार दिल्ली महिला आयोग जैसी संस्था है और केंद्रीय स्तर पर महिला विकास मंत्रालय है, उसी प्रकार देश का पुरूष वर्ग अपने लिए भी इसी प्रकार की एक संस्था की मांग करता है।
आज के समय में समाज में महिला एवं पुरूष की बराबरी के लिए इस प्रकार की संस्था का होना बेहद जरूरी है। सरकारी तौर पर इस प्रकार की संस्था के लिए हमे बुलंद होकर अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी और अभी तक सोई हुई देश की सरकार के कानों तक अपनी आवाज़ पहुँचानी होगी। इस फैसले को जल्द अमल में लाने के लिए हमें आपके सहयोग की सख्त जरूरत है। कृप्या हमारे द्वारा जारी की गई इस पिटीशन पर हस्ताक्षर कर हमें अपना अमुल्य सहयोग प्रदान करें।