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आधुनिक हिमाचल के निर्माता का देहावसान एक अपूर्णीय क्षति

जिंदगी में कुछ इस तरह निभाओ किरदार अपना…
कि परदा गिरने के बाद भी तालियाँ बजती रहे…

सही कहा है कि आदमी मरता है, किरदार नहीं मरा करते।

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक शून्य सा हो गया। लाखों प्रदेशवासियों में न जाने कितने उन्हें गरीबों के मसीहा के रूप में जानते हैं। हिमाचल का विकास-पुरुष और न जाने कितने वर्तमान नेताओं का राजनैतिक-जन्मदाता, हिमाचली जनमानस के हृदय-पटल पर राज करने वाला वह दैदीप्यमान सूर्य 8 जुलाई, 2021 की ब्रह्म-वेला में ही किसी और लोक को आलोकित करने के लिए विदा हो गया।

प्रदेश ही नहीं, वरन् समस्त भारतवर्ष की राजनीति में ऐसे इतिहास-पुरुष विरले ही हुए हैं। 60 वर्षों का उन का राजनीतिक जीवन सभी के लिए आदर्श रहा है। वे बच्चों से लेकर युवाओं तथा प्रौढ़ों तक सबके चहेते रहे। हमारे दादाओं के ज़माने से पिताजी तथा हमारे बच्चों तक, कौन उन्हें नहीं जानता था। ‘प्रदेश का मुख्यमंत्री’ किसे कहते हैं, यह उन के जीवन से सीखा जा सकता है। एकमात्र ऐसा उम्मीदवार जो प्रदेश के किसी भी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में खड़ा हो जाए, तो बड़े-बड़े मैदान खाली कर दें। ‘आयरन-लेडी’ और ‘दुर्गा का अवतार’ कही जाने वाली इंदिरा गांधी जी ने उन्हें प्रदेश की बागडोर सौंपी थी। अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने हिमाचल में विकास के नए आयाम स्थापित किए। दो बार कोरोना महामारी को मात देने के बाद भी प्रदेश की जनता के लिए पुनः आगामी चुनावों में खड़ा होने तथा सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने के लिए वे शेर की तरह तैयार थे। उनकी जिजीविषा तथा दृढ़ इच्छाशक्ति के सभी कायल रहे हैं। उनकी स्मरण-शक्ति सराहनीय थी। किस अवसर पर किस जनप्रतिनिधि ने कौन सी मांग रखी थी तथा उस पर क्या प्रगति हुई है, यह जानना कभी नहीं भूलते थे। अफसरशाही को नियंत्रित कर के किस प्रकार व्यापक जनहित के काम करवाए जा सकते हैं, यह उन से बेहतर और कोई नहीं जानता था। कांग्रेस पार्टी की एकजुटता के लिए वीरभद्र अपने आप में एक गारंटी थे। पिछले कार्यकाल से पहले हिमाचल कांग्रेस की गुटबाजी से नाराज हो कर पार्टी हाईकमान से सत्ता में वापसी का पूरा आश्वासन दिला कर वापस लौटे और पुनः कांग्रेस की सरकार बना कर छठी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हिमाचल के किसी भी क्षेत्र से विकास कार्यों से जुड़े किसी प्रस्ताव के लिए उन के मुंह से कभी न नहीं सुनी। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत विरोधी दल के कई नेता भी समय-२ पर उन से मार्गदर्शन प्राप्त करते रहे हैं।

बतौर युवा मंडल अध्यक्ष मेरे द्वारा हमारे क्षेत्र की जनसमस्याओं व मांगों पर न केवल आश्वासन बल्कि त्वरित कार्यवाही हेतु संबंधित विभागों के अधिकारियों को कई बार तुरंत आदेश जारी किए। शिमला-ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के तहत धामी में डिग्री कालेज, मिनी सचिवालय, लोकनिर्माण मंडल तथा धामी में अस्पताल को स्तरोन्नत करना, उपतहसील खोलना, परिवहन सेवाएं सहित अनेकों विकास-कार्य उन्हीं की देन हैं। हमारी ग्राम पंचायत बठमाणा (जाबरी) में बतौर मुख्यमंत्री उनके छठे कार्यकाल के दौरान आना हुआ था। हमारे लिए वह ऐतिहासिक क्षण था जब मेरे गांव धलाया में उन्होंने स्वास्थ्य-उप-केन्द्र का शिलान्यास किया था। मेरे गाँव के सभी लोग उन के आगमन से कृतज्ञ हुए थे। मुझे बारंबार वे क्षण याद आ रहे हैं जब उन्होंने लोगों से उन्होंने पूछा कि “बोलो, और क्या चाहिए?” इस पर वहां मौजूद स्थानीय युवाओं ने पशु औषधालय खोलने की मांग रखी। मुझे सही अर्थों में उन के राजा होने का आभास हुआ, जब उन्होंने मौके पर ही मेरे गांव धलाया में पशु औषधालय खोलने की घोषणा भी कर दी। आज मेरे क्षेत्र के सैंकड़ों लाभार्थी जहाँ स्वास्थ्य-सेवाओं का लाभ ले रहे हैं वहीं पशुपालक भी लाभान्वित हो रहे हैं।

शिमला-ग्रामीण को आदर्श विधानसभा क्षेत्र के रूप में विकसित करना उनका सपना था। उनके सुपुत्र विक्रमादित्य सिंह यहाँ से वर्तमान विधायक हैं जो उनके सपनों को पूरा करने हेतु निरंतर प्रयासरत हैं। हिमाचल प्रदेश के विकास में उनके योगदान को प्रदेश की जनता सदैव याद रखेगी।

मनोहर शर्मा,
अध्यक्ष,
दिव्यज्योति युवा मंडल, धलाया(धामी),
शिमला-ग्रामीण, हिमाचल प्रदेश

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