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पश्चिम बंगाल चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बड़ा संकेत

पश्चिम बंगाल 2021 विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने है। TMC की मुखिया ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेती नजर आने वाली है। पिछले एक साल से TMC और भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे पश्चिम बंगाल के चुनाव में TMC ने पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की। भाजपा भले ही राज्य में सरकार बनाने से चूक गयी हो लेकिन पिछले चुनाव में मिली 3 सीटों के साथ इस बार 70 से ज्यादा सीट मिलना पार्टी के ग्राफ को बढ़ता हुआ ही दिखाता है। पश्चिम बंगाल के अलावा केरल में लगातार दूसरी बार लेफ्ट गठबंधन की सरकार बनेगी। तमिलनाडु में डीएमके सत्ता में आई है। असम में बीजेपी गठबंधन ने दोबारा जीत हासिल की है।केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में एनडीए विजयी रहा। कुल मिलाकर 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे मिले जुले रहे। लेकिन इन राज्यों के नतीजे ने देश की राजनीति को काफी हद तक बड़ा संदेश दिया है।

बंगाल में एक बार फिर TMC को मिली भारी बहुमत जीत के बाद ऐसा माना जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और उनके नाम की लहर पर काफी हद तक रोक लगी है। इसी के साथ एक बार फिर ये साबित हो गया है कि बीजेपी की सारी निर्भरता नरेंद्र मोदी पर ही बनी हुई है। यानी की ग्राउंड लेवल पर पार्टी का कोई नेता जनता की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाया है। सबका साथ सबका विकास का नारा हर हर मोदी घर घर मोदी के इर्द गिर्द ही सिमट कर रह गया है। नहीं तो काम के नाम पर आखिर कौन वोट नहीं देना चाहेगा?

कांग्रेस का जनाधार लगभग खत्म होता ही नजर आ रहा है। केरल और असम में पार्टी को मिली हार से आने वाले कुछ राज्यो या ये कहें कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस का अस्तित्व सिमटता ही नजर आ रहा है। राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर नहीं दे पाए है। ऐसे में विपक्ष को ममता की शक्ल में राष्ट्रीय स्तर पर एक गैर कांग्रेसी चेहरा मिल सकता है। हालांकि राष्ट्रीय स्तर ममता बनर्जी नरेंद्र मोदी को टक्कर दे पाएंगी या नहीं ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन पश्चिम बंगाल के नतीजे एक बार फिर इस बात की ओर इशारा कर रहे है कि क्षेत्रीय चुनावों में भाजपा का घटता जनाधार कई चीजों की ओर संकेत दे रहा है। बीजेपी को बड़े स्तर पर जीत मिली हो लेकिन राज्यों के विधानसभा चुनाव में उसके पास क्षेत्रीय स्तर पर कोई चेहरा नजर नहीं आया। ऐसे में अब भाजपा को ध्रुवीकरण की राजनीति त्याग कर जमीनी स्तर पर जनता के लिए कार्य करने की जरूरत तक। ताकि अब अगले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव को जीत कर भाजपा 2024 तक खुद को एक मजबूत स्थिति में ले आये।

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