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भारत में फिल्मों की बजाय वेब सीरीज़ का चल रहा है जबरदस्त क्रेज़, जानें क्या कुछ नया और खास है इन वेब सीरीज़ में

एक समय था जब लोग अपने पसंदीदा कलाकार की फिल्म रिलीज़ होने का महीनों पहले से इंतजार शुरु कर देते है। अगर कोई फिल्म हिट हो जाए तो फैंस कई साल तक उसके सीक्वल का इंतजार ही करते रहते थे। लेकिन आज के समय में यही हाल बड़े पर्दे की बजाय ऑनलाइन वेब सीरीज़ के प्रति देखने को मिल रहा है। वेब सीरीज़ की लोकप्रियता भारत में तेजी से बढ़ रही है। खासतौर पर यंगस्टर्स इन वेब सीरीज़ की ओर सबसे ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।

आज भी कई लोग सोचते है कि भारत में ये वेब सीरीज़ का कॉन्सेप्ट कहां से लिया गया है। विदेशों और हॉलीवुड में कई सालों से वेब सीरीज़ का कॉन्सेप्ट देखने को मिल रहा है। “फ्रैंड्स” और “गेम ऑफ थ्रोन्स” जैसे कई टीवी सीरियल्स की डिमांड जब भारत में देखने को मिली तो इंडिया के डायरेक्टर्स और प्रॉड्यूसर्स ने भी इस लाइन में अपने हाथ आज़माने शुरु कर दिए। आज वेब सीरीज़ की दुनिया में हिंदी सीरियल्स की भी अपनी एक अलग पहचान बन चुकी है।

वेब सीरीज़ फिल्मों से किस तरह से अलग होते है, ये सोचने वाली बात है। फिल्मों में निर्देशक एक सीमा तक ही अपना कंटेंट परोस सकता है। क्योंकि बॉलीवुड की हर फिल्म को सेंसर बोर्ड से पास कराना जरूरी होता है। वेब सीरीज़ में इस तरह की कोई बाधा बीच में नहीं आती। इनमें डायरेक्टर्स अपनी मर्जी के गुलाम होते है और स्वतंत्र होकर बॉल्ड सीन्स और एडल्ट डायलोग्स का इस्तेमाल करते है। इनमें गाली-गलौच पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं होती है और आज के दर्शक यही चीज देखना सबसे ज्यादा पसंद करते है।

बॉल्ड सीन्स और एडल्ट कंटेंट के अलावा इनकी स्टोरी लाइन और स्क्रीन प्ले भी फिल्मों के मुकाबले काफी दमदार होता है। इन वेब सीरीज़ का एक या दो साल में एक सीज़न रिलीज़ होता है। एक सीजन में लगभग 8-10 एपिसोड की श्रृंख्ला होती है। इन वेब सीरीज़ का कंटेंट इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है या यूं कहें कि इनमें इतना ज्यादा सस्पेंस क्रिएट कर दिया जाता है कि एक एपिसोड देखने के बाद आप अगला एपिसोड देखे बगैर नहीं रह सकते।

अब बारी आती है कि ये वेब सीरीज़ देखें कहां पर। ये सभी वेब सीरीज़ अमेज़ॉन प्राइम, नेटफ्लिक्स और ऑल्ट बालाजी जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अवेलेबल होती है। कोई भी वेब सीरीज़ देखने के लिए आपको इन चैनल्स की मेंबरशिप लेनी होती है, जिसकी फीस सभी चैनल्स की अलग-अलग होती है। फिलहाल भारत में नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन प्राइम वीडियोज़ को सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है।

यूं तो अभी तक हिंदी में सैकड़ो वेब सीरीज़ बन चुकी है, लेकिन कुछ वेब सीरीज़ ने अपनी अलग फैन फोलोइंग बना ली है। इस दौड़ में सबसे आगे सेक्रेड गेम्स चल रहा है। इसके अभी तक दो सीज़न रिलीज़ हो चुके है, जिन्हें दर्शकों की ओर से बहुत तारीफें मिली है। इसके अलावा मिर्ज़ापुर, क्रिमिनल जस्टिस, हॉस्टेजिस, दिल्ली क्राइम, अपहरण और द फैमिली मैन जैसी वेब सीरीज़ को भी दर्शकों ने काफी सराहा है। आज के समय में अच्छी वेब सीरीज़ रिलीज़ होने के तुरंत बाद ही सोशल मीडिया पर उसके मीम्स बनने भी शुरु हो जाते हैं।

इन वेब सीरीज़ का कंटेंट इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि एक सीरीज़ देखने के बाद कुछ समय तक आप उसके कैरेक्टर में ही ढल जाते है। इन वेब सीरीज़ में काफी हद तक दुनिया की असलियत से भी रुबरू कराया जाता है। वेब सीरीज़ की लोकप्रियता तो भारत में तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके अपने कुछ साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल रहे है। मैं आपको अपना ही एक किस्सा बताता हूँ। कुछ दिनों पहले मैं दिल्ली स्थित अपने एक मामाजी के घर गया। वहां जाकर बातों-बातों में वेब सीरीज़ का ज़िक्र शुरु हो गया। मामा ने बताया कि उन्होंने क्रिमिनल जस्टिस का केवल एक एपिसोड देखा है, जो उन्हें बेहद पसंद आया। आगे के एपिसोड मेरे मोबाइल में सेव थे तो मैनें उनके साथ शेयर कर दिए। वह पूरी सीरीज़ उन्हें इस कद्र पसंद आई कि उनके दिमाग पर वेब सीरीज़ का अलग ही क्रेज़ सवार हो गया।

अब वह हर रोज़ मुझसे नई-नई वेब सीरीज़ के बारे में जानकारी लेते रहते है। वेब सीरीज़ एक लत की तरह है, जो अगर एक बार लग जाए तो आसानी से नहीं छूटती। वेब सीरीज़ देखते हुए व्यक्ति अपनी नींद से भी नाता तोड़ लेता है। इसके अलावा एक अन्य समस्या वेब सीरीज़ के साथ देखने को मिल रही है कि 14-15 साल या उससे कम उम्र के बच्चें भी इन वेब सीरीज़ की ओर आकर्षित हो रहे है। यूं तो बच्चों के लिए फ्लेम्स और कोटा फैक्ट्री जैसी ढेरो सीरीज़ यू-ट्यूब पर मिल जाएगी, लेकिन वे एडल्ट कंटेंट की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे है।

ये वेब सीरीज़ देखने से बच्चों के अंदर की मासूमियत बहुत जल्दी खत्म हो जाती है। वहीं कुछ बच्चें वेब सीरीज़ देखने के बाद मर्डर और रेप जैसे क्राइम्स को भी अंजाम दे रहे है। इंडियन मिनिस्ट्री ऑफ इंफोर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग को जल्द ही कुछ ऐसे नियम और कानून बनाने की जरूरत है, जिससे 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एडल्ट वेब सीरीज़ आसानी से अवेलेबल ना हो सकें। खैर इन सब बातों से साफ है कि आने वाले समय में भारत में फिल्मों से ज्यादा वेब सीरीज़ का ढंका देखने को मिलेगा। और शायद वह दिन भी दूर नहीं जब आप सिनेमाघर जाकर बड़े पर्दे पर इन वेब सीरीज़ का आनन्द उठा सकें।

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