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जानिये क्या है आत्महत्या, लक्षण और उसके उपाय, इस गंभीर समस्या के पीछे का पढ़िए मुख्य कारण!

आत्महत्या (suicide) एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में कई तथ्य सामने आती है, इसपर कोई बात नहीं करना चाहता है। आत्महत्या सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक बड़ी गंभीर समस्या बनी हुई है। हर साल भारत में कई लोग आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैं, जो सही नहीं है। आत्महत्या एक गुनाह है, लेकिन लोगों को लगता है कि इस रास्ते को अपनाने से वह अपने हर उलझन से मुक्ति पा लेंगे।

भारत जैसे विकसित देश में बच्चे भी आत्महत्या (suicide) करने की सोच से पड़े नहीं है। आत्महत्या की कभी-कभी ऐसी वजह होती है जो सामान्य रूप से ठीक की जा सकती है, अगर उस पर अमल किया जाए तो।

टीनएजर क्यों सोचते हैं आत्महत्या के बारे में?

बच्चे मन के भोले होते हैं। वह किसी भी बात के लिए जल्दी परेशान हो जाते हैं और इस तरह के कदम उठाने के बारे में सोचते हैं और कभी-कभी उठा भी लेते हैं।

माता-पिता बच्चों के मनस्थिति को नहीं समझ पाते हैं कि उनके बच्चे के मन में क्या चल रहा है। वह किस समय से गुजर रहे हैं. इसी वजह से बच्चे अपनी मन की बात आसानी से नहीं कह पाते हैं और कभी कभी पेरेंट्स भी समझना जरूरी नहीं समझते हैं। उन्हें लगता है कि उनका बच्चा बिल्कुल ठीक है, लेकिन कभी-कभी ऐसा बिल्कुल नहीं होता है।

माता पिता को ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे गुमसुम क्यों हैं? बाकी बच्चों से अलग व्यवहार क्यों करते हैं? अगर जरूरत पड़े तो बच्चों की काउंसलिंग करानी चाहिए, इससे बहुत ज्यादा मदद मिलती है।

लोग क्यों करते हैं आत्महत्या का फैसला?

जो लोग आत्महत्या (suicide) जैसा रास्ता चुनते हैं, वह कहीं ना कहीं किसी बड़ी परेशानी या डिप्रेशन का शिकार होते हैं। सुसाइड के केस में अक्सर कुछ परेशानी सामान्य देखी गई है। जैसे-

करियर- बहुत से लोग अपने करियर में जो उतार-चढ़ाव चल रहे होते हैं, उस चीज को आसानी से झेल नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में चले जाते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।

निजी जीवन और लव लाइफ- दुनिया का ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो अपने निजी जीवन और प्रेम संबंध के कारण परेशान ना होता है, लेकिन आत्महत्या इसका उपाय नहीं है। मनुष्य प्यार जैसी चीज को लेकर कभी-कभी इतना उत्तेजित हो जाता है कि जब उसे सामने वाले से समान रुप का व्यवहार ना मिले तो निराश हो जाता है। फिर बाकी लोगों से अलग रहने लगता है और आखिरकार आत्महत्या (suicide) को ही चुनता है।

ब्लैक मेलिंग- अगर हम क्राइम के नजरिए से देखें तो देश में कई आत्महत्याए ब्लैक मेलिंग करने की वजह से होती हैं, बच्चे हो या जवान इसका शिकार हो जाते हैं, क्योंकि वह समाज में अपनी इज्जत खोने से डरते हैं। भयभीत हो जाते हैं और यह कदम उठा लेते हैं, लेकिन अगर आप ब्लैक मेलिंग का शिकार हो रहे हैं तो आत्महत्या करने के बजाय पुलिस और कानून का सहारा लेकर इस परेशानी से निजात पा सकते हैं।

डिप्रेशन होने पर लोग क्यों नहीं जाते डॉक्टर के पास?

डिप्रेशन आजकल एक ऐसी समस्या बनी हुई है कि सिर्फ बॉलीवुड स्टार ही नहीं बल्कि आम लोग भी इससे ग्रसित हैं, लेकिन फिर भी इस पर खुलकर बात नहीं करते हैं, क्योंकि लोगों की यह मानसिकता बनी हुई है कि अगर वह डिप्रेशन की बात करेंगे तो लोग उनको कमजोर समझेंगे और अगर डॉक्टर के पास चले गए तो पागल करार कर दिए जाएंगे, लेकिन यह सच नहीं है। अगर डिप्रेशन है तो काउंसलर के पास जाकर इसका इलाज कराया जा सकता है। इस बीमारी से मुक्ति पाई जा सकती है। भारत में ऐसे कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज हैं, जो डिप्रेशन जैसी बीमारी पर खुल कर बात करते हैं और काउंसलिंग का सहारा लेने की बात भी कहते हैं।

डिप्रेशन के लक्षण

डिप्रेशन का सबसे बड़ा लक्षण है। चुप रहना सबसे अलग रहना किसी से ज्यादा बात नहीं करना लोगों में आसानी से घुलना मिलना नहीं। लेकिन अब यह भी पाया गया है कि जो व्यक्ति सामान्य व्यवहार करता है हंसता बोलता है। वह भी डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। ऐसे लोगों को काउंसलिंग की सख्त जरूरत होती है और काउंसलिंग करा कर वह डिप्रेशन से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।

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