हम लोग मोटिवेशन के लिए न जाने कितने विदेशियों की किताबें पढ़ते हैं या उनके विचारों को अपने जीवन मे उतारते हैं। लेकिन हम लोग अपने देश के महान विचारकों को नज़र अंदाज़ कर देते है। हमारे देश मे एक ऐसे और महान विचारक हुए हैं, जिनसे विदेशी भी प्रेरणा लेते हैं और हम भी।
हम बात कर रहे हैं, स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जिनका जीवन प्रेरणा से भरा पड़ा है। आज हम उनके जीवन के एक ऐसे प्रेरक घटना के बारे में जानेंगे, जो प्रेरणा से भरा हुआ है। और ये भी बताएंगे की इससे हमने क्या सीखा?
स्वामी जी संन्यासी थे और देश विदेश में घूम घूम कर लोगों को सही रास्ता दिखाते थे। एक बार वो बनारस में रुके हुए थे। सुबह के समय वो मंदिर से प्रसाद लेकर जा रहे थे। तभी उनके पीछे बंदरों का झुंड लग गया, वो परेशान होने लगे। और अपने आप को बचाने के लिए भागने लगे। जैसे वो भागने लगे, बन्दरों का झुंड़ भी उनके पीछे भागने लगा, स्वामी जी और भी परेशान होने लगे, तभी उनको देख एक दूसरे सन्यासी ने उनसे कहा कि, तुम्हे अपनी परेशानियों से भागना नही चाहिए, बल्कि उसका सामना करना चाहिए।
स्वामी जी ने भी ऐसा ही किया और बन्दर वहां से भाग गए। इस घटना का स्वामी जी ने भी कई बार जिक्र किया है। इस प्रेरक घटना से हमको बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जब भी हम लोगों के ऊपर कोई विपत्ति आती है तो हम लोग परेशान होने लगते हैं। उस परेशानी से डर कर भागने लगते हैं। यही हमारी सबसे बड़ी गलती होती है, मैं भी अपनी परेशानियों से भागने लगता हूँ, लेकिन इससे मेरी परेशानी और भी बढ़ जाती थी। इसका कोई समाधान ढूंढ़ने की वज़ह हम परेशान होने लगते हैं। लेकिन ये तरीका सही नही है।
अगर आपके ऊपर कोई विपत्ति आये तो आपको भागना नहीं चाहिए। बल्कि उसका सामना करना चाहिए। अगर आप अपनी परेशानी से भागने की बजाय उसका कड़ा मुकाबला करेंगे, तो आपकी परेशानी खत्म हो जाएगी और आप विजेता बन जायेंगे। यही सीख हमें स्वामी जी के इस प्रेरक घटना से सीखने को मिलती है कि कभी भी अपनी विपत्ति को देख भागना नही चाहिए। इससे वो विपत्ति कम होने की बजाय औऱ बढ़ जायेगी। आपको अपनी विपत्ति का सामना करना पड़ेगा, तभी आप आगे बढ़ पाएंगे।