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भारत की आत्मनिर्भरता: भारत का सम्मान

किसी भी राष्ट्र के द्वारा उसके संसाधनों का समुचित उपयोग कर सभी नागरिकों का सामाजिक व आर्थिक समान रूप से पोषण करना आत्मनिर्भरता की श्रेणी में आता है। आत्म सम्मान पाने की राह में सबसे प्रमुख व अनिवार्य शर्त सदैव आत्मनिर्भरता की होती है।

भूमंडलीकरण के इस दौर में विश्व के किसी भी राष्ट्र के लिए समृद्धि व शांति का लक्ष्य तभी सुगम हो सकता है जबकि वह राष्ट्र स्वयं में पर्याप्त सक्षम हो तथा अपने नागरिकों की सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति बिना किसी देश अथवा देशीय संगठन पर निर्भर रहकर पूरी करता हो। वर्तमान समय में भारत की आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। भारत आत्मनिर्भरता के माध्यम से वैश्विक पटल पर अपनी मजबूत स्थिति प्रदर्शित करना चाहता है।

वर्तमान समय में भारत विभिन्न क्षेत्रों जैसे ऊर्जा आपूर्ति, परमाणु हथियार व सोलर उपकरण आदि वस्तुओं के लिए काफी हद तक अन्य विकसित व समृद्ध देशों पर निर्भर है जिसके कारण भारत में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आत्मनिर्भर भारत अभियान, इंडियन सोलर एलाइंस, मेक इन इंडिया जैसे कई ठोस कदम उठाए हैं । तो वहीं स्पेस के क्षेत्र में भारत ने 108 उपग्रह एक साथ लॉन्च करके जो उपलब्धता हासिल की है वह भारत को विकसित देशों की सूची में लाकर खड़ी करती है।

उच्च स्तर की तकनीक का अभाव, संसाधनों की तुलना में जनसंख्या की अधिकता और शिक्षा के मूलभूत आधार में कमी जैसी चुनौतियां भारत को आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में बाधित करती हैं।

पारस्परिक सहयोग, उच्च महत्वाकांक्षा व नवाचार के माध्यम से भारत शीघ्र आत्मनिर्भरता को प्राप्त कर सकता है। आत्मनिर्भर भारत विश्व के समक्ष अपनी नवीन व प्रभावी छवि प्रस्तुत करने के लिए संघर्षशील व प्रयासरत है।

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