Site icon Prabha

अगर धरती पर इंसान ही ना बचे तो क्या होगा?

ज़रा सोचिए, अगली सुबह धरती पर से इंसानों का नाम और निशान पूरी तरह से मिट जाए तो कैसा मंजर होगा? या ये ही कल्पना कर लीजिए कि आप केवल इकलौते इंसान है जो धरती पर जिंदा बचे हैं। सुबह का सूरज निकलता है, आप अपने घर से बाहर जाने के लिए तैयार है। लेकिन बाहर जाते ही एक ऐसा खौफनाक मंजर दिखाई देता है जिसकी आपने कल्पना भी नहीं कि होगी। पूरी धरती इंसानों से विहीन हो चुकी है। पशु पक्षी और जीव जंतुओं को छोड़ कर कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं हैं। अब जरा सोचिए इसका परिणाम धरती और प्रकृति पर कैसा रहेगा? इंसानों के ना होने से प्रकृति का पुनर्जन्म होगा। ये धरती आज से करोड़ों साल पहले की भांति अपने स्वर्णिम अध्याय में लौट जाएगी। चारों तरफ पक्षियों की चहचहाहट और शुद्ध वातावरण का आवागमन हो जाएगा। सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लग सकता है लेकिन कोरोना महामारी के विनाशक मंजर के बीच जीव जंतु और प्रकृति तो इस चीज़ की कल्पना जरूर कर रही होगी।

बिना इंसानों की धरती का पहला दिन। सुनसान पड़ी सड़के, घंटो दौड़ते वाहन अचानक से रुक जाएंगे। कई बड़े मानव उद्योग और 24 घंटे चलते कारखाने बंद हो जाएंगे। हर वो चीज रुक जाएगी जो इंसानों द्वारा की जाती है। इसका नतीजा यह होगा कि कुछ ही समय बाद धरती से बिजली खत्म होने लगेगी और इस पृथ्वी पर अंधकार छा जाएगा। आधुनिक उपकरणों की वजह से कुछ दिन धरती पर रोशनी जरूर रहेगी लेकिन बिना इंसानों के धीरे धीरे वो भी खत्म हो जाएगी। इंसानों के ना होने से सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में पूरी तरह से तबाह हो जाएगी। अब इसका असर दिखेगा पृथ्वी के प्राकृतिक सौंदर्य पर। बिना इंसानों के धरती पर 1 महीने के भीतर ही कुछ ऐसा नजारा दिखेगा जो साक्षात पृथ्वी पर देवताओं को आमंत्रित कर सकता है। यानी कि पृथ्वी पल भर में स्वर्ग बन जाएगी। बिना उद्योगों, परिवहन सेवाओं, मानवनिर्मित संसाधनों के प्राकृतिक अपना पुनर्जन्म लेगी और पृथ्वी से प्रदूषण अपने सबसे निम्न स्तर पर आ जायेगा। नदियों से साफ जल की धारा बहने लगेगी। वो पक्षी धरती पर लौट आएंगे जो इस प्रकृति के हकदार हैं। रेडिएशन खत्म होने से 3 महीनों के भीतर ही सभी जीव जंतु और पशु पक्षी धरती पर लौट आएंगे और बिना किसी परेशानी के अपना जीवन बशर करेंगे। वन्य जीवन के पुनर्गठन के बाद पेड़ पौधे तेज़ी से अपना सौंदर्य रूप लेने लगेंगे।

सिर्फ 1 साल, 1 साल के भीतर मानव द्वारा बनाई गई हर इमारत अपने आप विध्वंस होने लगेगी। मानव की हर बनाई गई चीज़ पर प्रकृति का ही अधिकार होगा। थल, जल और वायु प्रकृति के अनुसार चलेंगी। 5 से 10 साल के बीच अंतरिक्ष से ये नीली और काली नजर आने वाली धरती हरि नजर आने लगेगी। क्लाइमेट पूरी तरह से प्रकृति के वश में होगी। इंसानों के ना होने से पेड़ों को कोई नहीं काटेगा जिसके चलते और कुछ ही सालों बाद हाइवेज और खुली सड़को की जगह जंगल और हरे भरे पेड़ पौधें दिखाई देने लगेंगे। ना ही गांव बचेंगे और ना ही शहर। जीव जंतु का संसार फिर बसने लगेगा। जानवरो का जन्म उन्ही की धरती पर होगा और उनके अनुसार ये प्रकृति संचालित होगी। 100 से 500 सालो के बाद मौसम अपने हिसाब से बदलेगा। सर्दी और गर्मी अपने हिसाब से होंगी। ना ज्यादा और ना कम। 500 साल बाद धरती कुछ ऐसी हो जाएगी जैसी किसी ने कल्पना भी नहीं कि होगी। इंसानों के जाने के बाद धरती पर कई प्रजातियां फिर से जन्म लेंगी। हज़ारों साल बाद ऐसा मंजर होगा कि जैसे धरती कभी इंसानों के अधीन थी ही नहीं। हज़ारों सालों बाद प्लास्टिक भी पूरी तरह से दिकम्पोज़ हो जाएगी और चारों और सिर्फ प्राकृति अपना अधिकार रखेगी। इसका मतलब ये हुआ कि अगर कभी हज़ारों सालों बाद इंसानों ने इस धरती पर जन्म लिया भी तो वो ये नहीं सोच पाएंगे कि कभी इस पृथ्वी पर इंसानों का वास था भी या नहीं?

दोस्तों आज हम धरती से बहुत कुछ छीन चुकें है जिसके हम हकदार नहीं थे। आज कुदरत हमें उस मोड़ पर लाकर खड़ा करने की तैयारी में हैं जहाँ से इस सब की शुरुआत हुई थी। अगर हम अभी भी नहीं समझे तो आने वाला समय कैसा होगा ये कोई नहीं जानता।

Exit mobile version