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इस Feminism को आप क्या नाम देंगे?

Feminism Essay

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर Boys Locker room और स्नैपचैट पर होने वाली टीनेजर्स की बातें चर्चा का विषय बनी हुई है। इस मामले में दिल्ली पुलिस और साइबर क्राइम सेल ने एक्शन लेते हुए जाँच में पाया कि रेप की प्लानिंग करने वाला शख्स वास्तवमें एक लड़की है, जो सिद्धार्थ नाम से फेक अकाउंट बनाकर ये सब बातें कर रही थी। लड़की ने अपनी सफाई में कहा है कि वह केवल इस मुद्दे पर अन्य लड़कों की राय जानने के लिए यह सब कर रही थी। अब सवाल ये आता है कि क्या ये मामला यहीं पर खत्म हो जाता है, या फिर उस लड़की के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जैसे ही Boys Locker room और स्नैपचैट की बातों के स्क्रीन शॉट्स सोशल मीडिया पर वायरल होने शुरू हुए थे, देश का Feminist सेल अचानक से एक्टिव हो गया था। इंस्टाग्राम से लेकर फेसबुक और ट्वीटर तक सभी जगह नाबालिग लड़को को गिरफ्तार करने की मांग उठने लगी थी। आज के जमाने में सभी यह बात जानते है कि सोशल मीडिया पर अफवाहे कितनी तेजी से फैलती है, लेकिन इसके बावजूद लोग (खासतौर पर Feminists) खबर की पुष्टि किए बगैर ही अपनी राय पेश करने लगते है। इस पूरे वाक्या के कारण ही गुरुग्राम के रहने वाले मानव सिंह को केवल 15 साल की उम्र में आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाना पड़ गया।

मुझे तो अब तक यह बात हजम ही नहीं हो रही है कि आखिर कैसे एक लड़की दूसरी लड़की के बारे में इस तरह की घिनौनी और निंदनीय बाते कर सकती है। सच्चाई सामने आने के बाद क्या कोई सोशल मीडिया पर पोस्ट करेगा, – Teach your daughter to respect their community. जब तक बात केवल Boys locker room की हो रही थी, तब तक सब कुछ सही चल रहा था और इस Feminist सेल का प्लान भी कामयाब हो रहा था। लेकिन उसके बाद जब Girls locker room की चैट्स के कुछ स्क्रीनशॉट्स सोशल मीडिया पर वायरल होने शुरू हुए तो ये उल्टा उसमें भी पुरूषो को ही गलत बताने लगी। उनके अनुसार हम पुरूष इस बात को सामाजिक दृष्टिकोण से नहीं देख रहे है, बल्कि Girls vs Boys का नया मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे है।

अब जो मैं बात लिखने जा रहा हूँ, मुमकिन है कि कुछ लोगों को वह बुरी लग सकती है। आज के समय में अधिकांश महिलाओं को Feminism का असली मतलब पता ही नहीं है। समाज में Gender Discrimination को कम करने के लिए और महिलाओं को भी पुरूषों के समान हक और सम्मान मिल सके, इसके लिए Feminism (नारीवाद) का इजात किया गया था। लेकिन आज की सभ्य, पढ़ी-लिखी और खुद को आधुनिक कहने वाली महिलाएं पुरूषों को नीचा दिखाने को Feminism समझने लग गई है। उनका मकसद समाज में बराबरी का दर्जा हासिल करना नहीं है बल्कि किसी भी मुद्दे को लेकर पुरूषों को गलत साबित करना हो गया है। स्वरा भास्कर और सोनम कपूर जैसे कुछ लोगों को तो Feminism Specialist घोषित कर देना चाहिए।

इसके अलावा एक अन्य खास मुद्दे पर भी मैं आपका ध्यान केंद्रित करना चाहूंगा। अक्सर मैं देखता हूँ कि कुछ लड़किया अपने पीरियड्स और मूड स्विंग्स को लेकर बहुत पोस्ट करती है। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से वे बहुत कूल (Cool) लगती है। लड़कियों द्वारा स्टैंडअप कॉमेडी की भी जब बात आती है तो उन्हें इसके अलावा अन्य कोई विषय ही नज़र नहीं आता। भगवान ही जाने किसे सुनाने के लिए वे ये सब बाते करती है। लड़किया स्वयं तो अपनी परेशानियों और तकलीफ के बारे में जानती ही है और पुरूषो को ये सब बाते बताने से उन्हें क्या मिलेगा। उनकी बाते और पोस्ट पढ़कर कई बार ऐसा लगता है कि मानों पीरियड्स और मूड स्विंग्स के पीछे भी पुरूषों का ही दोष है। उन्हें समझना चाहिए कि ये सब कुछ तो प्राकृतिक है और यदि इसके बाद भी वे किसी को दोष देना चाहती है तो खुशी से भगवान को इसका दोषी मान सकती है।

अंत में मैं कहना चाहता हूँ कि ये सब बाते मैंने Boys locker room के समर्थन में या फिर किसी व्यक्ति विशेष को गलत साबित करने के लिए नहीं लिखी है। और ना ही मैं Feminism का विरोध करता हूं। आज भी देश के कई इलाकों में महिलाओं को पुरूषों से कमतर आंका जाता है, ऐसी महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए Feminism का होना भी जरूरी है। लेकिन समाज सुधार और सही न्याय के लिए देश-दुनिया में Feminism को लेकर चल रही गलत धारणाओं को जल्द दूर करना भी आवश्यक है। मुमकिन है मेरे विचारों से आप में से बहुत लोग सहमत नहीं होंगे। यदि मेरी कही किसी बात से आपका दिल दुखा है तो मैं उसके लिए क्षमा याचना करता हूँ। कृप्या आप सभी मुझे अपना भाई, मित्र या पुत्र समझकर माफ कर दे।

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