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लॉकडॉउन में लगातार बढ़ रही घरेलू हिंसा

कोरोना के खतरे को देखते हुए दुनिया के लगभग सभी देशों ने लॉकडॉउन कर रखा है। भारत में भी 23 मार्च से सम्पूर्ण लॉकडॉउन है। ऐसे में सभी लोग अपने-अपने घरों में बंद है, ताकि कोरोना संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके, लेकिन ऐसे कठिन समय में एक और मुश्किल आ पड़ी है और वो है घरेलू हिंसा। लॉकडॉउन के समय में घरेलू हिंसा के मामले में 95 फिसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जो कि बेहद ही चिंताजनक स्थिति है और ये आकड़ें और भी ज्यादा हो सकते हैं। ऐसे वक्त में जब लोग घरों से बाहर भी नहीं निकल सकते तो जाहिर सी बात है महिलाएं अपने साथ हो रहे घरेलू हिंसा की शिकायत भी नहीं कर सकती और ना हीं वो उस जगह को छोड़कर कहीं और सुरक्षित जगह पर जा सकती हैं। महिला आयोग के रिपोर्ट की माने तो बंद से पहले जहाँ उन्हें घरेलू हिंसा को लेकर 123 मामले मिले थे वहीं लॉकडॉउन में ऑनलाइन और बाकि माध्यमों से 293 घरेलू हिंसा की शिकायतें मिली हैं।

महिला आयोग ने दावा किया है कि लॉकडॉउन में घरेलू उत्पीड़न के मामले लगभग दोगुना बढ़ गये हैं। देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहाँ लॉकडॉउन के शुरुआती 11 दिनों में 92 हजार घरेलू हिंसा के मामलों को लेकर महिलाओं ने कॉल करके शिकायत दर्ज कराई, जिसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केन्द्र तथा दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है और साथ ही जल्द से जल्द इस पर सख्त कदम उठाने को भी कहा है। वहीं गुजरात में पिछले एक महिने में 8000 घरेलू हिंसा के मामले दर्ज हुए हैं, देश के अन्य राज्यों में भी यही हाल है।

केवल भारत ही नहीं दुनिया के बाकि विकसित देशों में घरेलू हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस इन सभी देशों में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। पूरी दुनिया में घरेलू हिंसा के बढ़ते घटनाओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने चिंता जाहिर की है और साथ ही उन्होंने दुनिया भर के देशों से कोरोना महामारी से निपटने के लिये बनाई गई रणनीति में महिला सुरक्षा को भी शामिल करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने लॉकडॉउन में भी खुली रहने वाली दवा दुकानों और किराना दुकानों पर महिलाओं के लिये इमरजेंसी वॉर्निंग व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया है।

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