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कोरोना मरीजों का बढना क्या सरकार की कमियों को दर्शाता है

भारत को कोरोना महामारी से लड़ते हुए 1 वर्ष से अधिक हो गया है।बीते वर्ष में लाखों लोग इस बीमारी का शिकार हुए हालांकि कुछ समय पहले कोरोना के मामलो में गिरावट आई थी परंतु जनता की लापरवाही के कारण कोरोना ने फिर एक बार अपने पांव पसार लिए है। प्रत्येक दिन कोरोना के 3 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे है व मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है,हाल यह है कि लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा।अस्पतालों में बेड व ऑक्सीजन की कमी दर्ज की जारी है।अब सवाल उठता है कि 1 वर्ष में स्वास्थ्य विभाग ने क्या किया स्वास्थ्य विभाग ने ऑक्सीजन की कमी के लिए क्या कदम उठाएं? क्या इसे स्वास्थ्य विभाग की बहुत बड़ी नाकामयाबी कहा जा सकता है?यह सब भारतीय स्वास्थ्य विभाग पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाता है।

भारतीय स्वास्थ्य विभाग का कमजोर होना देश के लिए हानिकारक है क्योंकि विकसित देश उसे ही माना जाता है जहां के नागरिक स्वस्थ हो।देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर फैली हुई है जो पहली लहर के मुकाबले ज्यादा हानिकारक है।अब सवाल उठता है स्वास्थ्य विभाग कोरोनावायरस की दूसरी लहर के लिए क्या तैयार नहीं था ऑक्सीजन व बेड की कमी यही दर्शाती है।

स्वास्थ्य विभाग के नाकामयाबी के अनेकों कारण है।भारत की निजी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं यहां इलाज बीमा योजना से कम बल्कि रोगियों के परिवार द्वारा खर्च पर अधिक किया जाता है।भारत में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं कम व निजी स्वास्थ्य सेवाएं अधिक है,और जो सरकारी केंद्र है वहां सुविधाओं की कमी है,जिससे जिन रोगियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है वह अपना इलाज नहीं करा पाते।जनसंख्या जो कि एक बहुत महत्वपूर्ण कारण है।जनसंख्या के अनुपात अस्पतालों व डॉक्टरों की कमी है।स्वास्थ्य केंद्रों में दवाइयों की,सुविधाओं की बड़ी कमी है ग्रामीण क्षेत्रों के हालात तो इस से भी बदतर है कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्वास्थ्य केंद्र तक नही है।

आज जो ऑक्सीजन की कमी अस्पतालों में हो रही है वह स्वास्थ्य विभाग की गैर जिम्मेदारी को दर्शाता है।स्वास्थ्य विभाग को बीते वर्ष से ही सबक लेकर इस पर ध्यान देना चाहिए था। देश की जीडीपी का मात्र 1.5 फ़ीसदी की स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाता है जिससे अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है।

स्वास्थ्य विभाग को सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।स्वास्थ्य विभागों को एलोपैथिक के अतिरिक्त आयुर्वैदिक,योगा,होम्योपैथिक को भी बढ़ावा देना चाहिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए।नागरिकों को विभिन्न संचार के द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूक करना चाहिए।स्वास्थ्य विभाग को निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर नजर रखनी चाहिए।सरकार को स्वास्थ्य विभाग पर खर्च पढ़ाना चाहिए,इलाज के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए।वर्तमान के लिए सरकार को ऐसी नीति लानी चाहिए,जो कि वर्तमान चुनौती आनी कोरोना से लड़ने के लिए सक्षम हो।

सरकार को उपयुक्त बातो पर ध्यान आकर्षित करना चाहिए व विचार करना चाहिए।हमारा देश तभी तरक्की कर पाएगा जब सब नागरिक स्वस्थ होंगे क्योंकि देश की तरक्की को मापने के लिए जीवन प्रत्याशा को भी देखा जाता है,जो कि तभी अच्छी होगी जब स्वास्थ्य विभाग अच्छे से अपना कार्य करेगा।

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