भारतीय सेना जिस पर जितना गर्व किया जाए कम है। भारतीय सैनिक बिना कुछ सोचे हम सभी देशवासियों के लिए अपनी जान तक क़ुर्बान कर देते हैं। लेकिन आज मैं आप सभी लोगों से एक सवाल पूछना चाहती हूँ कि, आपकी नजरों में देश के सैनिकों की क्या अहमियत है?
एक सैनिक बॉर्डर पर खड़ा होता है और देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान दे देता है। वह एक बार भी नहीं सोचता कि उनके जाने के बाद उनकी माँ, पिता और उसके परिवार का क्या होगा। और क्या हम सोचते हैं उनके परिवार के बारें में? नहीं। कुछ लोगों को तो फुर्सत ही नहीं है, वो तो बहुत व्यस्त हैं सोशल मीडिया पर ज़हर उगलने में, देश के प्रधानमंत्री को गाली देने में, जमातियों का समर्थन करने में और यहाँ तक की अपने ही के देश के टुकड़े-टुकड़े करने में। वैसे ऐसे लोगों से उम्मीद भी नहीं की जा सकती।
एक सैनिक को शहीद होने के बाद क्या मिलता हैं, एक मेडल, कुछ रुपये और एक दिन समाचार पत्रों में हेडलाइन बस! क्या ये मेडल, कुछ रुपये और हेडलाइन उस माँ को सहारा दे पायेंगे? जिसने अपने लाल को खोया है। पर हमें क्या फर्क पड़ता है हमें आवाज़ उठानी है परन्तु उन लोगों के लिए जिसमे हमारा फायदा छुपा हो। सैनिकों के सम्मान के लिए आवाज उठाने में क्या फायदा।
देश का सबसे प्रचलित अखवार टाईम्स ऑफ़ इंडिया, एक 4×3 के बॉक्स में बड़े ही अपमान जनक शब्दों में छापता है कि
“9 terrorists killed, 3 Jawans die ”
देश के इतने प्रतिष्ठित अखवार का स्तर इतना नीचे गिर जाएगा सोचा नहीं था!!!
इसमें उनकी हीन मानसिकता साफ़ दिखाई देती है। और वो लोग जो इस अखवार में ये पढ़कर भी चुप हैं वो भी इस घटिया विचारधारा का समर्थन कर रहे हैं। किसी सैनिक के लिए Dead और Killed जैसे शब्दों का प्रयोग उतना ही अपमान जनक है जितना की खुद के लिये गाली सुनना। और सबसे बड़ी बिडंबना ये की देश के नेता, जो CAA के विरोध करने वाले की मौत पर Martyr जैसे शब्द इस्तेमाल करते है। और सारे अख़बार ये छाप रहे होते हैं।
सैनिक कभी मरता नहीं है वह शहीद होता है। और वो शहीद होता है हम लोगों के लिये। वो वहाँ शहीद हो रहा है इसीलिये तुम अपने घरों में, ओफ़िसों में सुरक्षित बैठे हो। तो टाईम्स ऑफ़ इंडिया से मेरा यही कहना है कि अगली बार देश के सैनिकों के बारे में इन अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल न करें। और वो सभी लोग जो इस अखवार को पढ़कर सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाते हैं, बोलें ‘टाईम्स ऑफ़ इंडिया माफ़ी माँगो’। माना देश के आत्मसम्मान की तुम लोगों को कोई फ़िक्र नहीं पर उन सैनिको के लिये बोलो जो जान देते हैं तुम जैसे लोगों के लिए।
True words salute indian army
आज के दौर में इन अखबारों के पास तब्लिकी जमात, बेफालतू की बकवासे उस एक्टर ने ये किया उस नेता ने ये किया, लेकिन हर रोज कोई न कोई जवान शहीद हो रहा है अपने देश के लिए,और ऐसे अखबारों की वजह से आज इन शहीदों का अपमान हो रहा है लेकिन देश को लोगों को इससे क्या मतलब जो हो रहा है वो सरहद पे हो रहा है ये अब तो आपने अपने घरों में बैठे है हालत तो खराब उस मां बाप की होगी जिसका एक ही बेटा था उसे भी उन्होंने देश की सेवा में लगा दिया और उसके बाद उन्हें ये दिन देखना पड़ता है
लानत है ऐसे अखबारों पर