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स्वामी विवेकानंद वो भगवाधारी संत जिसने दुनिया को बताई हिंदुत्व की परिभाषा

भगवान श्रीराम ने जब लंका पर विजय प्राप्त कर ली थी, उसके बाद लक्ष्मण के मन में आया कि जब हमने इस सोने की लंका को जीत लिया है तो हमें अयोध्या जाने की क्या आवश्यकता है? तब भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से कहा था कि जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान होती है। उसी स्वर्ग से महान धरती भारत पर हजारों-लाखों देशभक्तों और हजारों संतों ने जन्म लिया है। जिन्होंने यह तो अपने पूरे जीवन को मातृभूमि की सेवा और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया और फिर हंसते-हंसते अपनी मातृभूमि के स्वाभिमान के लिए जान दे दी। जिस भारत माता की रक्षा के लिए हजारों देशभक्तों ने भगवा पहन कर अपनी जान की कुर्बानी दी।

जिस महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान और बंदा बैरागी जैसे लोगों ने अपनी मातृभूमि की अस्मिता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया। अगर आज कुछ हिंदुत्व विरोधी लोग भगवा को गाली देते हैं तो वास्तव में वह गाली भगवा को नहीं देते हैं बल्कि वह गाली देते हैं 5000 साल की उस महान सभ्यता को जिसने हमें दुनिया को मित्रता, प्रेम और मानवता सिखाई।

ऐसे लोग सनातन संस्कृति के ऊपर आरोप लगाते हैं कि सनातन संस्कृति इस दुनिया में किसी को रहने नहीं देना चाहती है लेकिन वास्तव में अगर वह इतिहास में जाकर देखें तो पूरे विश्व में केवल और केवल सनातन संस्कृति का बोलबाला था। अगर हम चाहते तो पूरा विश्व को हिंदू संस्कृति को अपनाने के लिये बाध्य कर देते। लेकिन तलवारों और अन्य कुटिल चालों के दम पर अपने धर्म को फैलाने वाले और छोटी-छोटी बातों पर सनातन धर्म को मानने वाले लोगों को धमकाने वाले यह नहीं जानते कि जिन लोगों ने तलवारों के जोर पर अपना धर्म नहीं त्यागा, जिन लोगों ने तलवारों के जोर पर अपनी मातृभूमि के लिए सौदा नहीं किया, वे लोग आज सौदा कर लेंगे यह असंभव है!

हमसे वही उलझें, जिनका मन धरा से भर गया है

वर्तमान में देखें तो भगवा और हिंदुत्व के ऊपर बार-बार आरोप लगाए जाते हैं कि हिंदुत्व और भगवा देश में आतंकवाद फैला रहा है। देश की एकता और अखंडता को खंडित कर रहा है लेकिन अगर हम इतिहास की गर्त में जाकर देखें तो इसी भगवा को पहनकर भगवान श्रीराम और श्री कृष्ण ने, इसी भगवा को पहनकर स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) और गौतम बुद्ध ने और इसी भगवा को धारण करके गुरु नानक देव जी ने दुनिया को यह बताया कि भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है। जिसके पास सबसे पहले सभ्यता आई और 5000 वर्षों की संस्कृति में हमने दुनिया को यही बताया है।

हमने दुनिया में मोहब्बत का असर जिंदा किया है, दुश्मन को गले मिल-मिल कर शर्मिंदा किया है

आज हम दुनिया को असली हिंदुत्व का परिचय देने वाले भगवाधारी स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की पुण्यतिथि पर उनके विचारों को याद कर रहे हैं जो आज भी लोग उसे पढ़ते हैं और उनके द्वारा बताई गई बातों को मानकर अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं। प्रखर हिंदुत्ववादी और सनातन परंपरा की अग्रणी दूत स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को हुआ था। स्वामी विवेकानंद ने अल्पकाल में पाश्चात्य संस्कृति को ग्रहण करने का सोचा लेकिन उनका मन पाश्चात्य संस्कृति में मन नहीं लगा और वह लौटकर अपने हिंदू संस्कृति की ओर वापस आ गए। स्वामी विवेकानंद ने अपना जीवन दीन दुखियों की सहायता और आत्मा को परमात्मा से मिलाने में व्यतीत कर दिया।

जिस भगवा को लोग गालियां देते हैं उसी भगवा को पहनकर 25 वर्ष की अवस्था में एक नवयुवक ने दुनिया को बताया कि हम लेडीज एंड जेंटलमैन वाले देश के लोग नहीं हैं बल्कि हम भाइयों-बहनों वाले देश के लोग हैं। हम पत्थर फेंककर दूरियां नही बनाते, हम गले मिलकर दूरियां कम करने वाले देश के लोग हैं। स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। 4 जुलाई सन 1902 उन्होंने अपनी देह त्याग दी थी। स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की मृत्यु 39 वर्ष की अवस्था में हो गई थी। वास्तव में स्वामी विवेकानंद ने राष्ट्र कवि उर्मिलेश शंखधर की इन पंक्तियों को सार्थक किया था

बेवजह दिल पर ना कोई बहुत भारी रखिए,
जिंदगी जंग है, इस जंग को जारी रखिए।
कितने दिन जिए इसकी न गिनती कीजिए साहब,
किस तरह से जिए इसकी सुमारी रखिए।।
(डॉ उर्मिलेश शंखधार)

आज हम स्वामी विवेकानंद की उन प्रसिद्ध वाक्यों और उन प्रसिद्ध वचनों से रूबरू कराएंगे। जिन्हें पढ़कर और सुनकर लोगों ने अपने जीवन की दशा और दिशा को परिवर्तित किया है और अपने जीवन में ऊंचाइयों को प्राप्त किया है…..

  1. “उठो जागो और अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले मत रुको”
  2. “यदि आपका धन दीन-दुखियों की सहायता करने में असमर्थ है। तो वास्तव में आपका धन केवल एक ढेर है और आप उस ढेर से जितनी जल्दी मुक्त हो सकते हैं आपके लिए उतना बेहतर होगा।”
  3. “अगर आपके मार्ग में कोई भी समस्या नहीं आ रही है और अगर आपके मार्ग में कोई भी कांटा नहीं आ रहा है तो इसका मतलब यह है कि आप गलत राह पर चल रहे हैं।”
  4. “जीवन में जितना बड़ा संघर्ष होगा, आपकी विजय भी उतनी ही भव्य होगी”
  5. “एक समय में एक काम ही करना चाहिए और उस काम को करते समय यह भूल जाना चाहिए कि दुनिया में कुछ और भी हो रहा है”
  6. “पीड़ितों की सेवा के लिए आवश्यकता पड़ने पर हम अपने मठ की भूमि तक भी बेच देंगे। हजारों असहाय नर-नारी हमारे नेत्रों के सामने कष्ट भोगते रहें और हम मठ में रहें, यह असम्भव है। हम सन्यासी हैं, वृक्षों के नीचे निवास करेंगे और भिक्षा मांगकर जीवित रह लेंगे।”
  7. “धर्म ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है। यह शक्ति जब तक सुरक्षित है, तब तक विश्व की कोई भी शक्ति हमारे राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकती”
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