Site icon Prabha

आपदा में अवसर ढूंढ रहे हैं देशवासी, दवाइयों की हो रही है कालाबाजारी

एक तरफ जहां पूरा देश इस समय संक्रमण से प्रभावित हो चुका है। नकारात्मक ऊर्जा चारों ओर से भारत वासियों को घेर रही है। लोग एक दूसरे के साथ मिलकर इस संक्रमण को समाप्त करना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ देश के कुछ लोग आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी करके देश के लोगों के प्राणों को संकट में डाल रहे हैं। आज कल covid के चलते डॉक्टर मरीज के घर वालो को डरा कर उनसे मोटी रकम ऐठ रहे है जिसमे की मरीज से एक ही बार में 4 इंजेक्शन लाने को कहा जा रहा है और उनसे कहा जा रहा है की कही से भी लाओ पर इंजेक्शन लाकर दो। वहीं मरीज कही से भी जुगाड करके जैसे तैसे इंजेक्शन ला कर डॉक्टर को देता है तो डॉक्टर उसके केवल अगर बहुत ही ज्यादा जरूरत होती है तो एक या दो इंजेक्शन लगता है बरना सभी ब्लैक कर देता है। केंद्र सरकार का कहना है की उनकी तरफ से पच्चीस हजार रिमेडेसिवर की डोज दी गई है। पूरे सबूत के साथ जिसमे की मुश्किल से 5000 डोज काम में आई है,राज्य सरकार के मुताबिक तो बाकी के 20000 डोज कहाँ गयी हैं। ये इंजेक्शन मार्केट में उपलब्ध न करवाएं क्युकी इससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिल रहा जिसकी कीमत 3500 रुपए है, उसको लोग बाग 1 लाख रुपए तक में बेच रहे है।

कहीं-कहीं ऐसा भी देखा गया है कि जिन दवाइयों की ज्यादा आवश्यकता पड़ रही है उन दवाइयों की कीमत बढ़ाई जा रही है। एमआरपी के रेट के ऊपर दवाइयों को बेचा जा रहा है। जो दवाई कल तक 20 रूपये में मिल जाती थी आज उस दवाई के 200 रूपये तक देने पड़ रहे हैं। जिस पल्स मीटर की कीमत कल तक 500 या 1000 रुपए थी आज वही पल्स मीटर 3000 और 5000 रूपये में बेचा जा रहा है।

आज संकट के समय में जिस तरह से देश के लोग कालाबाजारी कर रहे हैं उसके लिए हम सभी दोषी हैं। अगर वक्त रहते यह कालाबाजारी नहीं रुकी तो लोगों के प्राणों पर संकट आ जाएंगे। हालांकि इस समय में बहुत सारे स्थान ऐसे भी हैं जहां पर लोग फ्री में ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी आत्मा को भेजकर केवल और केवल काली कमाई कर रहे हैं। अगर देश को बचाना है तो इस कालाबाजारी को समाप्त करना होगा। अन्यथा हमारे देश के लोग बिना मौत मारे जाएंगे। हमारा भारत की सरकार और राज्य सरकारों से निवेदन है कि अपने ऐसे अधिकारियों को अब व्यवस्था बनाने में लगाएं जिन पर भ्रष्टाचार का कोई भी दाग ना हो और वे इस संकट से देश को उभार सकें।

कुशाग्र अग्रवाल (गुरुग्राम,हरियाणा)

Exit mobile version