Site icon Prabha

भारत में शिक्षा की स्थिति – आज़ादी से अब तक…

जब से भारत देश आजाद हुआ है, तब से हम लोग शिक्षा पर जोर दे रहे हैं. इसके लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी लागू हुआ, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिये यह मौलिक अधिकार है। इसके अलावा शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने के लिये केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। “जब पढ़ेगा इंडिया, तभी बढ़ेगा इंडिया”, “स्कूल चले हम” जैसे कई सारे स्लोंग भी बने, कई सारी योजनायें भी आई, लेकिन भारत में शिक्षा का स्तर में सुधार न के बराबर दिखाई देता है।

एक सर्वे के अनुसार पता चला है कि वर्तमान में, 95 प्रतिशत से अधिक बच्चे प्राथमिक विद्यालय में जाते हैं। हालांकि, इनमें से केवल 40 प्रतिशत माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 9-12) में भाग लेने में सक्षम हैं। हालाँकि ये स्थिति पहले से बेहतर है। अगर हम भारत के पूर्व की बात करें तो वहां शिक्षा का बहुत बुरा हाल है, इस जगह ऐसे कई इलाकें हैं, जहाँ स्कूल तो दूर की बात है, सड़क, बिजली तक नहीं है. लोगों को नदी पार कर के एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है। अगर हम दक्षिण भारत की बात करें तो, वहां शिक्षा का स्तर पूरे भारत से बेहतर है। वहां की राज्य सरकारे शिक्षा पर जोर देती हैं. दक्षिण के केरल राज्य की बात करें तो वहां की साक्षरता दर 100 % है।

दरअसल, हम लोगों के सामने कई सारी परेशानिया हैं, जैसे – हमारे देश का शिक्षकों की बहुत कमी है। UGC के अनुसार, कुल स्वीकृत शिक्षण पदों में से 35% प्रोफेसर के पद, 46% एसोसिएट प्रोफेसर के पद और 26% सहायक प्रोफेसर के पद रिक्त हैं। भारत में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता एक बहुत बड़ी चुनौती है। टॉप-200 विश्व रैंकिंग में बहुत कम भारतीय शिक्षण संस्थानों को जगह मिल पाती है।

उच्च शिक्षा में नामांकन का एक बड़ा हिस्सा राज्य विश्वविद्यालयों और उनके संबद्ध कॉलेजों से आता है, जबकि इन राज्य विश्वविद्यालयों को अपेक्षाकृत बहुत कम अनुदान प्राप्त होता है। UGC के बजट का लगभग 65% केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उनके कॉलेजों द्वारा उपयोग किया जाता है, जबकि राज्य विश्वविद्यालयों और उनके संबद्ध कॉलेजों को शेष 35% ही मिलता है।

इसके अलावा, सरकारें शिक्षा में सुधार के लिए कई सारी योजनायें शुरू भी करती है, लेकिन उसे ठीक से लागू नहीं किया जाता। अगर देश में शिक्षा का स्तर सुधारना है तो पहले अच्छे शिक्षकों की भर्ती हो, देश में शिक्षा का बजट को बढ़ाना होगा, पढाई के स्तर को उच्च करना होगा। रोजगार पैदा करना होगा। जब लोगों के पास रोजगार होगा, तो लोग अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा सकेंगे।

Exit mobile version