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स्वामी विवेकानंद की यह शिक्षा जीवन में कामयाबी के द्वार खोल देगी

भारत विश्व में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश है। किसी भी देश की तरक्की और उसे आगे ले जाने का पूरा दारोमदार देश के युवाओं के कंधो पर ही मौजूद होता है। आज भारत के युवाओं में जोश, मेहनत और ऊर्जा तो बहुत है लेकिन एक सच्चे आदर्श की कमी नज़र आती है। अधिकांश युवा बड़े फिल्मी सितारों को अपना आदर्श मान रहे है। वहीं स्वामी विवेकानंद जैसे आदर्शों को कहीं न कहीं वे नज़रअंदाज कर रहे है।

स्वामी विवेकानंद ने अपने छोटे से जीवन में ही बहुत बड़ी-बडी उपलब्धियां हासिल कर ली थी। शिकागो में उनके द्वारा दी गई स्पीच आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं भी दी थी। लेकिन यह शायद हमारा दुर्भाग्य है कि वह शिक्षाएं आज केवल बच्चों के कोर्स तक ही सिमट तक रह गई।
उन्होंने कहा था, – “उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।”

अर्थात्- उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्त तक मत रुको। सुनने में तो यह एक बेहद साधारण सी पंक्ति नज़र आती है। लेकिन गौर किया जाए तो पाएंगे कि इस एक पंक्ति से आप जीवन के बड़े से बड़े लक्ष्य को बेहद आसानी से हासिल कर सकते है। आज स्कूलों में विवेकानंद द्वारा दी गई यह शिक्षा पढ़ाई तो जा रही है, लेकिन इसका सारांश नहीं समझाया जा रहा है।

पंक्ति के प्रथम दो श्ब्द उठो और जागो, समानार्थ प्रतीत होते है। लेकिन इन दो शब्दों में बहुत गहरा अंतर है। इस पंक्ति से स्वामी विवेकानंद क्या समझाना चाह रहे है उस पर हम ध्यान ही नहीं देते। उठते तो हम रोज़ है और अपनी दिनचर्या पूरी कर रात को आराम से सो जाते है। विवेकानंद जी के अनुसार केवल उठने से आप कामयाबी हासिल नहीं कर सकते, उसके लिए आपको जागना भी होगा।

एक बार जागने के बाद आपको रुकना नहीं है और ना ही आराम करना है, बस चलते जाना है चलते जाना है। रास्ते में उतार-चढ़ाव भी आएंगे जहां आपका कई बार मन वापस जाने का करेगा या मन करेगा क्यों ना कुछ देर विश्राम कर लिया जाए। लेकिन आपको अपने लक्ष्य की ओर अटल रहना है। एक बार लक्ष्य तय करने के बाद उसे प्राप्त करने के अलावा आपके पास कोई विकल्प मौजूद नहीं होना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद की यह बात जो व्यक्ति समझ जाए, उसके जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से नहीं रोक सकती। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोई उम्र की सीमा भी नहीं होती। आज आपके सामने ऐसे सैकड़ो उदाहरण मौजूद है जिन्होंने अपनी आधी उम्र बीत जाने के बाद अपना लक्ष्य तय कर उसे प्राप्त किया है। अभी कुछ देर नहीं हुई है, आज ही आप उठें, जागें और मन में दृढ़ संकल्प कर लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुकें।

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