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गुजरता बीस

जब तू हुआ था शुरू तो एक अलग खुमार था,
कुछ अलग करने का दुनिया पर जैसे जुनून सवार था

पर तूने भी ठान रखी थी सबको आज़माने की,
नहीं कोई वक़्त से तेज़ शायद ये बताने की

गुज़रे वक़्त की धुंध को तूने साफ कर दिया,
मिट्टी का मिट्टी की तरह हिसाब कर दिया

वक़्त दर वक़्त दे नसीहतें तू गुजरता रहा,
कभी कोई गिरता और कोई सम्भलता रहा

माना कि इस बरस तू उन्नीस से बीस था,
जिसको जो भी मिला वो उसका नसीब था

तेरी विदाई को सब बैठे तैयार हैं,
और इक्कीस हो उन्नीस सा ये इंतज़ार है।।

#Bye_Bye2020

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